Entry Fees : Rs. 20/- per Indian Visitor.
Rs. 400/- per Foreigner.
Camera Charges - Rs 100/- per Camera
झाबुआ जिले के लगभग हर गाँव में बाबदेव का स्थान होता है। जनजातीय समुदायों में क्योंकि कोई ठोस देवालय का कोई स्वरूप नहीं मिलता, समूची प्रकृति ही पूजनीय है। अतः भील समुदाय में भी बाबदेव का स्थान किसी एक टेकरी पर ही होता है, जो होता तो अपने गाँवों की सीमा में ही है। वर्षों से मन्नत पूरी होने पर टेराकोटा से बने घोड़े, सुअर, बिल्ली इत्यादि के रूप में धन्यवाद स्वरूप देवता को चढ़ाए जाते रहे हैं। साथ ही बलि के रूप में बकरा या मुर्गा भी ज्वार, सिन्दूर आदि के साथ देवता को अर्पित किया जाता है। साल में दो बार दिवाली एवं दिवासा वानी हरियाली अमावस्या को भी बाबदेव के स्थान पर गाँव वाले एकत्र होकर पूजा करते हैं। सामर्थानुसार बकरा / मुर्गा इत्यादि चढ़ाते हैं तथा गाँव एवं अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना भी करते हैं। वर्षों से इस परम्परा के चलते जहाँ-जहाँ बाबदेव का स्थान है, वहाँ चढ़ावों के पहाड़ से बन गए हैं, जो दूर से लवित हो जाते हैं।
कलाकार- नीतेश, भानू - झाबुआ क्षेत्र