Folk Art of Bundelkhand Region

गोबरधन/गोधन

पशुधन की महत्ता को अभिव्यक्त करने के लिए दीपावली के दूसरे दिन गोधन की पूजा होती है। इस दिन आँगन के बीचो बीच गोबर से यह आकृति बनाकर देव रूप में पूजा जाता है।

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद

गोपाष्टमी

कार्तिक शुक्ल अष्टमी ‘गोपाष्टमी’ के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रथम बार गौ चराने के लिए वन भेजा गया। इस दिन घर की दीवार पर गेरू आदि से गाय के खुर, कार्तिक मास होने से धन-वैभव के लिए मुद्रा, दवात-कलम आदि के चित्र उकेरे जाते हैं।

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद

सुराती

यह माँ लक्ष्मी जी के पर्व जैसे दीपावली, महालक्ष्मी पूजन आदि त्योहारों पर दीवार पर एवं देव उठनी एकादशी पर जमीन पर गेरू, चूना से बनाकर उसके नीचे पटली रखकर पूजन किया जाता है। इससे घर में धन, सम्पदा एवं माँ लक्ष्मी जी सदा निवास करती हैं, ऐसी मान्यता है।

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद

सुराती

यह माँ लक्ष्मी जी के पर्व जैसे दीपावली, महालक्ष्मी पूजन आदि त्योहारों पर दीवार पर एवं देव उठनी एकादशी पर जमीन पर गेरू, चूना से बनाकर उसके नीचे पटली रखकर पूजन किया जाता है। इससे घर में धन, सम्पदा एवं माँ लक्ष्मी जी सदा निवास करती हैं, ऐसी मान्यता है।

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद

सुराती

यह माँ लक्ष्मी जी के पर्व जैसे दीपावली, महालक्ष्मी पूजन आदि त्योहारों पर दीवार पर एवं देव उठनी एकादशी पर जमीन पर गेरू, चूना से बनाकर उसके नीचे पटली रखकर पूजन किया जाता है। इससे घर में धन, सम्पदा एवं माँ लक्ष्मी जी सदा निवास करती हैं, ऐसी मान्यता है।

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद

हलषष्टी (हलछठ)

भाद्रपद की कृष्णपक्ष की षष्टी को श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। श्री बलरामजी के प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल हैं, इसलिए उन्हीं के नाम पर इस पर्व का नाम ‘हलछठ’ पड़ा। इस दिन घरों की दीवार पर गोबर आदि से चपेटा, कंघी, जवारे, मामा-भांजा, नाव आदि के चित्र बनाए जाते हैं। इसके पीछे अन्य कथाएँ भी विख्यात हैं।

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद

नागपंचमी

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी ‘नागपंचमी’ के नाम से विख्यात है। पुराणों के अनुसार नागपंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर नागों की विषम संख्या में आकृति गोबर-मिट्टी आदि से बनाकर पूजा की जाती है।

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद

मकड़ी

तुलसीचौरा की दीवार पर मिट्टी से बनाया जाने वाला अंकन।

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद

गणगौर व्रत

यह पर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियाँ व्रत रखती हैं। इस दिन पार्वती ने भगवान शंकर से सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त किया था। यह व्रत माता पार्वती ने छिपाकर किया था इसी परंपरा के अनुसार आज भी पूजन के समय पुरुष उपस्थित नहीं रहते।

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद

अहोई अष्टमी

यह पर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियाँ व्रत रखती हैं। इस दिन पार्वती ने भगवान शंकर से सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त किया था। यह व्रत माता पार्वती ने छिपाकर किया था इसी परंपरा के अनुसार आज भी पूजन के समय पुरुष उपस्थित नहीं रहते।

अंकन: अरूणा चौबे

बीजासेन

बीजासेन की पूजा नवविवाहिता पुत्र-वधू के सौभाग्य के लिए की जाती है। सोमवार या शुक्रवार नौ सौभाग्यवती स्त्रियों को आमंत्रित करने के पश्चात उन्हें नौ-नौ की मात्रा में सुहाग सामग्रियाँ देकर माता बीजासेन की पूजा की जाती है और भोजन कराया जाता है।

अंकन: अरूणा चौबे

महालक्ष्मी आठे

आश्विन माह की कृष्णाष्टमी के दिन व्रत धारण करने वाली महिलाओं द्वारा हाथी पर सवार महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है।

अंकन: महेश कुमार मिश्र

आसमायी

मंगल की कामना के प्रतीक रूप में यह अंकन कर पूजा की जाती है। इनकी पूजा में गागर के भीतर चार कौडिय़ाँ भी रखी जाती है।

अंकन: महेश कुमार मिश्र

राधा-दामोदर

कार्तिक मास में तुलसी चौरा की दीवार पर राधा-कृष्ण का चित्र अंकित कर राधा-दामोदर लिखे जाते है।

अंकन: महेश कुमार मिश्र