Folk Art of Baghelkhand Region

कोहबर / Kohbar

मध्यप्रदेश के बघेलखण्ड जनपद में कोहबर का अंकन किया जाता है । इस विषिष्ट अंकन से कुल देवता की स्थापना की जाती है । कोहबर का अर्थ है. कुक्षिभर यानी कोख भरनें की मनोकामना । यह कामना नववधू द्वारा घर में प्रथम प्रवेश के दौरान कुल देवता की आराधना कर की जाती है ।

अंकन: कलाकारः. श्रीमती आशा द्विवेदी

नेऊरा नमय / Neuranamay

नेवले द्वारा साँप से बच्चे की रक्षा करने से रक्त रंजित उसके मँुह को देखकर भ्रमवश बच्चे की माँ द्वारा उसकी हत्या करने और सच्चाई पता होने के बाद उसके प्रति आस्था प्रकट करने का भित्ति अंकन।

अमूल परिकल्पना: आशा द्विवेदी- पुनर्अंकन: मोहित

छठी पूजन / Chhathi Poojan

'छठी पूजन' " का लोकचित्र नवजात का 'छठी' संस्कार सम्पन्न करने के लिए ऐपन (चावल के आटे का घोल) से पुती दीवार पर लाल, पीले और हरे रंग से बनाया जाता है। छठी पूजन को 'हलषष्ठी' कृष्ण के दाऊ हलधर के छठी संस्कार से जोड़कर देखा जाता है। पारम्परिक लोक चित्र दीवार में अंकित कर स्त्रियाँ पूजा-अर्चना करती हैं। मांगलिक लोक गीत सोहर गाये जाते हैं-

मूल परिकल्पना: आशा द्विवेदी- पुनर्अंकन: मोहित, सचिन

करवा चौथ / Karwa Chouth

करवा चौथ कामदा तिथि है। स्त्रियाँ अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु करवा चौथ का व्रत करती हैं।

मूल परिकल्पना: आशा द्विवेदी- पुनर्अंकन: मोहित, सचिन

भाई दूज / Bhai Dooj

भाई दूज का त्यौहार चैत्र वदी द्वितीया और कार्तिक वदी द्वितीया को वर्ष में दो बार मनाया जाता है। बहन भाई के माथे पर चैत्र वदी द्वितीया को गुलाल का टीका और कार्तिक वदी द्वितीया को हल्दी का टीका लगाती है।

घर के प्रवेश द्वार के बाहरी ओर गोबर की चौकोर वेदी डाली जाती है और चार कोनों में पुतलियाँ बैठाई जाती हैं। घर- गृहस्थी के सामान, चूल्हा, चक्की आदि गोबर से बनाये जाते हैं। गेरू रंग से भाई की पूजा करती हुई आकृतियाँ लिखी जाती हैं। पूजा दोपहर के पूर्व की जाती है। यह त्यौहार मूलतः भाई-बहनों के प्यार की पवित्रता का वाहक है। वहन रोली-अक्षत से भाई का पूजन करती है। सुख शान्ति और समृद्धि की कामना

अंकन: चन्द्रहास पटेरिया, शान मोहम्मद