Sanehi

Sanehi

Tribal communities worship their ancestors with great respect. They are also their gods who protect them from time to time. Different customs are prevalent in different tribes for them.

The Kol tribe has the practice of creating memorial pillar for the dead person, which is called Sanehi. Sanehi is established where the cremation of the deceased is done. The rectangular shaped Sanehi is made from wood of Sarai tree and its upper portion is triangular. Nowadays, the date of the death of the deceased is engraved on the upper side of the sanehi, while the house, kalash (urn), goth, tools, animals and birds etc. are engraved on the lower side. In fact, by installing Snehi, the family shows affection and respect towards their dead relatives. The work of making 'Sanehi' is a very costly ritualistic work.


सनेही

जनजातीय समुदाय अपने पूर्वजों को अत्यधिक सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। वही उनके देवता भी होते हैं, जो समय-समय पर उनकी रक्षा करते हैं। इनके लिए विभिन्न जनजाति में अलग-अलग रीति-रिवाज प्रचलित हैं।

कोल जनजाति में मृत व्यक्ति के लिये मृतक स्तंभ बनाने का चलन है, जिसे सनेही कहते हैं। सनेही वहीं गाड़ी जाती है, जहाँ मृतक का दाह संस्कार किया गया होता है। सनेही सरई के पेड़ से आयताकार खम्भे के रूप में बनाई जाती है, जिसका ऊपरी भाग तिकोना होता है। इसमें आजकल ऊपर मृतक की मृत्यु की तारीख तथा नीचे घर, कलश, गोठ, औजार, पशु-पक्षी उकेरे जाते हैं। सनेही बनाकर परिवार अपने मृत परिजनों के प्रति स्नेह और सम्मान प्रकट करता है। सनेही बनवाने का कार्य एक बेहद खर्चीला अनुष्ठानिक कार्य है।


कलाकार:

बुद्धसेन, शिवप्रसाद, रामगरीब

क्षेत्र – सीधी, शहडोल, रीवा, सिंगरौली, उमरिया क्षेत्र